देशभर में नागरिकता कानून पर बवाल के बीच, मेघालय कैबिनेट ने राज्य को इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के तहत लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकार 19 दिसंबर को विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में इस प्रस्ताव को पेश करेगी। मंगलवार को मुख्यमंत्री कोनरॉड संगमा ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, “हमने सर्वसम्मति से बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1973 के मुताबिक, मेघालय में 'इनर लाइन परमिट' लागू करने का फैसला किया है।”
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राज्य में हुए उग्र प्रदर्शनों के बाद राज्य सरकार ने यह फैसला किया।गृहमंत्री अमित शाह के मेघालय में नागरिकता कानून लागू करने की घोषणा के बाद लोगों ने राज्य में आईएलपी कानून लाने की मांग की थी। पहाड़ी राज्य मेघालय के लोग पिछले कई साल से भी स्थानीय समुदाय के हितों को संरक्षित करने के लिए इस तरह के कानून की मांग करते रहे हैं।
आईएलपी लागू होने के बाद, देश के अन्य राज्यों के नागरिकों सहित किसी भी बाहरी व्यक्ति को संबंधित स्थान पर जाने के लिए अनुमति लेनी होती है। इस कानून में स्थानीय लोगों के लिए जमीन, नौकरी समेत कई अन्य सुविधाओं के लिए विशेष प्रावधान किए जाते हैं। अभी अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नगालैंड में आईएलपी लागू है। नगालैंड सरकार ने हाल ही में दिमापुर जिले को आईएलपी में शामिल करने के लिए कानून में संशोधन किया है, जिसके बाद पूरा राज्य इसके तहत आ गया है।
इस बीच राजभवन में शपथ ग्रहण के बाद, मेघालय के नए राज्यपाल आरएन रवि ने पदभार ग्रहण कर लिया है। रवि को नगालैंड के साथ मेघालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। मेघालय के राज्यपाल तत्वज्ञ रॉय को उनके एक ट्वीट पर उपजे आक्रोश के बाद छुट्टी पर भेज दिया गया था।